शबाब जा चक्का लेकिन ख़ुमार बाक़ी है Admin Qita << तबस्सुम तिरा ख़ूब से ख़ूब... साज़ पर मश्क़ कर के साज़-... >> शबाब जा चुका लेकिन ख़ुमार बाक़ी है भरी ख़िज़ाँ में भी लुत्फ़-ए-बहार बाक़ी है जवान है दिल-ए-ज़िंदा अभी तो पहलू में जहाँ में इशरत-ए-लैल-ओ-नहार बाक़ी है Share on: