तिमतिमाते हैं सुलगते हुए रुख़्सार तिरे By Qita << वो सर-ए-शाम बाम पर आए यूँ ही बदला हुआ सा इक अंद... >> तिमतिमाते हैं सुलगते हुए रुख़्सार तिरे आँख भर कर कोई देखेगा तो जल जाएगा इतना सय्याल है ये पल कि गुमाँ होता है मैं तिरे जिस्म को छू लूँ तो पिघल जाएगा Share on: