उदास चाँद ने बदली की आड़ में हो कर By Qita << ज़िंदगी तू ने कहानी दे दी यूँ नदी में ग़ुरूब के हंग... >> उदास चाँद ने बदली की आड़ में हो कर किनारे मल्गजे बादल के कर दिए रौशन शब-ए-फ़िराक़ में जैसे तसव्वुर-ए-रुख़-ए-दोस्त दिल-ए-हज़ीं के अँधेरे में रौशनी की किरन Share on: