वज्ह-ए-बे-रंगी-ए-गुलज़ार कहूँ तो क्या हो By Qita << उस के आने की दुआ होती है ... गिरानी का असर >> वज्ह-ए-बे-रंगी-ए-गुलज़ार कहूँ तो क्या हो कौन है कितना गुनहगार कहूँ तो क्या हो तुम ने जो बात सर-ए-बज़्म न सुनना चाही मैं वही बात सर-ए-दार कहूँ तो क्या हो Share on: