ये काएनात मुनव्वर है तेरे जल्वों से Admin मुनव्वर रना शायरी, Qita << ये कौन आया है गुलशन में त... उस की ख़ुश्बू से मोअ'... >> ये काएनात मुनव्वर है तेरे जल्वों से तिरे ही जल्वों की हर सम्त इक नुमाइश है कहाँ वो ताब-ए-नज़र है कि तुझ को देख सकूँ तिरी नज़र से तुझे देखने की ख़्वाहिश है Share on: