उस की ख़ुश्बू से मोअ'त्तर है मिरी तन्हाई Admin वीर रस की शायरी, Qita << ये काएनात मुनव्वर है तेरे... तू है ज़ाहिर परस्त ऐ दुनि... >> उस की ख़ुशबू से मोअ'त्तर है मरी तन्हाई याद उस की मुझे तन्हा नहीं होने देती इब्न-ए-आदम हूँ ख़ता होती है मुझ से तस्कीन उस की रहमत मुझे रुस्वा नहीं होने देती Share on: