आशोब-ए-ज़माना से है डरना कैसा By Rubaai << अहबाब ने सौ तरह हमें ख़्व... आलाम-ओ-मसाइब से लड़ा करते... >> आशोब-ए-ज़माना से है डरना कैसा बुज़दिल की तरह शिकवा है करना कैसा मरना तो बहर-हाल है इक रोज़ 'उबैद' मरने से मगर पहले ही मरना कैसा Share on: