आती है तो खिलती है गुलाबों की तरह By बुढ़ापा, Rubaai << दिल देख उसे जिस घड़ी बे-त... अमृत से फ़ज़ाएँ दम-ब-दम ध... >> आती है तो खिलती है गुलाबों की तरह देती है नशा तुंद शराबों की तरह लेकिन कोई देखे ये जवानी का मआल बिखरी है पढ़ी हुई किताबों की तरह Share on: