दिल देख उसे जिस घड़ी बे-ताब हुआ By Rubaai << अमृत वो हलाहल को बना देती... आती है तो खिलती है गुलाबो... >> दिल देख उसे जिस घड़ी बे-ताब हुआ और चाह-ए-ज़क़न से मिस्ल-ए-गिर्दाब हुआ की अर्ज़ कि बे-क़रार दिल है तो कहा अब दिल न कहो उसे जो सीमाब हुआ Share on: