अब ज़ेर-ए-क़दम लहद का बाब आ पहुँचा By मौत, Rubaai << सुकूत-ए-दरवेश-ए-जाहिल जज़्बा हर इक अंदाम में ढल... >> अब ज़ेर-ए-क़दम लहद का बाब आ पहुँचा हुशियार हो जल्द वक़्त-ए-ख्वाब आ पहुँचा पीरी की भी दोपहर ढली आह 'अनीस' हंगाम-ए-ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब आ पहुँचा Share on: