अब वलवले इश्क़ के तमन्ना में नहीं By Rubaai << अफ़्साना-ए-ग़म है शादमानी... आसाँ नहीं हाल-ए-दिल अयाँ ... >> अब वलवले इश्क़ के तमन्ना में नहीं मजनूँ कोई जुस्तुजू-ए-लैला में नहीं जाने गुज़रे हैं किस तरह से राह-रौ इक नक़्श-ए-क़दम भी रेग-ए-सहरा में नहीं Share on: