अफ़्साना-ए-ग़म है शादमानी मेरी By Rubaai << अरबाब-ए-वफ़ा की जाँ-गुदाज... अब वलवले इश्क़ के तमन्ना ... >> अफ़्साना-ए-ग़म है शादमानी मेरी मैं कौन हूँ और क्या जवानी मेरी हँसता हूँ कि मुक़तज़ा-ए-हस्ती है ये रोता हूँ कि ज़िंदगी है फ़ानी मेरी Share on: