अफ़्साना-ए-यार बहर-ए-वसलत है लज़ीज़ Admin मजाक शायरी Facebook, Rubaai << ऐ अब्र कहाँ तक तिरे रस्ते... आलूदा ख़यालात में तेरे हू... >> अफ़्साना-ए-यार बहर-ए-वसलत है लज़ीज़ पैमाना-ए-मय पए फ़राग़त है लज़ीज़ ऐ शैख़ है हर वक़्त तू रूखा-फीका ये तुर्फ़ा मज़ाक़ है कि ताअ'त है लज़ीज़ Share on: