आलूदा ख़यालात में तेरे हूँ मुदाम Admin ख्यालात शायरी, Rubaai << अफ़्साना-ए-यार बहर-ए-वसलत... पीरी में ख़ाक ज़िंदगानी क... >> आलूदा ख़यालात में तेरे हूँ मुदाम ताअ'त से ग़रज़ न कुछ इबादत से काम हर लहज़ा हवस बोसे की हर दम बस बस उल्फ़त के तक़ाज़े को न कुछ सुब्ह न शाम Share on: