अफ़्सोस है बद-गुमाँ की आज़ादी पर Admin आज़ादी पर शायरी, Rubaai << अफ़्सोस सफ़ेद हो गए बाल त... अब तक जो कहीं हमारी क़िस्... >> अफ़्सोस है बद-गुमाँ की आज़ादी पर ख़ालिक़ कभी ख़ुश न होगा बर्बादी पर ताऊन से क्यों है इतनी वहशत 'अकबर' ये तो इक टेक्स है इस आबादी पर Share on: