अब तक जो कहीं हमारी क़िस्मत न लड़ी Admin हिन्दी शायरी गम भरी, Rubaai << अफ़्सोस है बद-गुमाँ की आज... आशिक़ का ख़याल है बहुत ने... >> अब तक जो कहीं हमारी क़िस्मत न लड़ी नाहक़ तुझे हम-नशीं है फ़िक्र उस की पड़ी अंग्रेज़ के मुल्क में लड़ाई कैसी ये हिन्द है यहाँ ख़ुश-इंतिज़ामी है बड़ी Share on: