अफ़्सोस कि जिस दिन से हम आज़ाद हुए Admin भाषा पर शायरी, Rubaai << बे-कैफ़ हैं दिन-रात कहूँ ... रग़बत जो दिलाई वुसअत-ए-मश... >> अफ़्सोस कि जिस दिन से हम आज़ाद हुए अपनी ही बुरी सोच से बर्बाद हुए झगड़े कभी मज़हब कभी भाषाओं पर क्या क्या सितम अपने लिए ईजाद हुए Share on: