अमृत वो हलाहल को बना देती है By Rubaai << हर एक हक़ीक़त का फ़साना ह... दिल देख उसे जिस घड़ी बे-त... >> अमृत वो हलाहल को बना देती है ग़ुस्से की नज़र फूल खिला देती है माँ लाडली औलाद को जैसे ताड़े किस प्यार से प्रेमी को सज़ा देती है Share on: