असरार जहाँ लतीफ़ा-ए-ग़ैबी हैं Admin बीवी शायरी, Rubaai << बेदार नहीं कोई जहाँ ख़्वा... आवारा-ए-हिर्स दर-ब-दर फिर... >> असरार जहाँ लतीफ़ा-ए-ग़ैबी हैं सब आलम-ए-तहत-ओ-फ़ौक़ तरकीबी हैं वाँ बारिश-ओ-इमसाक यहाँ पैदा-वार ये चर्ख़-ओ-ज़मीं दोनों मियाँ-बीबी हैं Share on: