आवारा-ए-हिर्स दर-ब-दर फिरता है Admin आवारा शायरी Fb, Rubaai << असरार जहाँ लतीफ़ा-ए-ग़ैबी... ये मुझ से न पूछ तू ने क्य... >> आवारा-ए-हिर्स दर-ब-दर फिरता है हम-संग-ए-फ़लाख़ुन पए ज़र फिरता है कुछ हाथ ब-जुज़ कुलूख़ आने का नहीं कम-बख़्त फ़ुज़ूल गिर्द-ए-सर फिरता है Share on: