अता अस्लाफ़ का जज़्ब-ए-दरूँ कर By Rubaai << एहसास में बे-ताबीे-ए-जाँ ... ईद आई है ऐश-ओ-नोश का सामा... >> अता अस्लाफ़ का जज़्ब-ए-दुरूँ कर शरीक-ए-ओ-ए-ज़ुमरा-ए-ला-यहज़नूँ, कर ख़िरद की गुत्थियाँ सुलझा चुका मैं मिरे मौला मुझे साहिब-ए-जुनूँ कर Share on: