औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी By Rubaai << बाग़ों पे छा गई है जवानी ... ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले ... >> औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी ख़ुद को भी सुनाता नहीं बातें अपनी हर साअत ख़ुश है हाल-ए-मसरूक़ा-ए-वक़्त क़ुदरत से छुपा रहा हूँ रातें अपनी Share on: