बेदारी का इक दौर नया आता है By Rubaai << आदम को ये तोहफ़ा ये हदिया... अफ़्लाक पे जब परचम-ए-शब ल... >> बेदारी का इक दौर नया आता है वहशत का भी अंदाज़ बदल जाता है अब अहल-ए-ख़िरद ख़ुश हैं कि दीवाना भी महफ़िल में नई शम्अ जला जाता है Share on: