बेदारी-ए-एहसास है उलझन मेरी Admin मुरीद शायरी, Rubaai << अफ़्सोस उन पर फ़लक ने पाय... अफ़्सोस सफ़ेद हो गए बाल त... >> बेदारी-ए-एहसास है उलझन मेरी हल्क़े में मसाइब के है गर्दन मेरी ठहराएँ किसे मोरीद-ए-इल्ज़ाम कि ख़ुद है फ़ितरत-ए-हस्सास ही दुश्मन मेरी Share on: