अफ़्सोस उन पर फ़लक ने पाया क़ाबू Admin मुस्लिम शादी कार्ड शायरी, Rubaai << एहसास को लफ़्ज़ों में पिर... बेदारी-ए-एहसास है उलझन मे... >> अफ़्सोस उन पर फ़लक ने पाया क़ाबू मुतलक़ नहीं उन में रंग ढूँडो या बू शेख़ी को छोड़ मीरज़ा पहले बने बनते जाते हैं अब ये मुस्लिम बाबू Share on: