बे-गोर-ओ-कफ़न बाप का लाशा देखा By Rubaai << किस दर्जा सुकूँ-नुमा हैं ... खुलता ही नहीं हुस्न है पि... >> बे-गोर-ओ-कफ़न बाप का लाशा देखा परदेस में मादर का रँडापा देखा ज़िंदाँ में जफ़ा-ए-ख़ार-ओ-तौक़-ओ-ज़ंजीर आबिद ने पिदर के बअ'द क्या क्या देखा Share on: