किस दर्जा सुकूँ-नुमा हैं अबरू के हिलाल By Rubaai << बे-जा नहीं मद्ह-ए-शह में ... बे-गोर-ओ-कफ़न बाप का लाशा... >> किस दर्जा सकूँ-नुमा हैं अबरू के हिलाल ख़ैर ओ बरकत के धन लुटाती हुई चाल जीवन-साथी के आगे देवी बन कर आती है सुहागनी सजाए हुए थाल Share on: