दौलत के भरोसे पे न होना ग़ाफ़िल By Rubaai << दिल भी दामन है फैलाओ सर-ए... गर यार के सामने मैं रोया ... >> दौलत के भरोसे पे न होना ग़ाफ़िल बेहतर नहीं औक़ात का खोना ग़ाफ़िल वाक़े में हैं बेदार उसी शख़्स के बख़्त जिस शख़्स को कर सके न सोना ग़ाफ़िल Share on: