देख कर तेरी आलम-आराई Admin राधा कान्हा शायरी, Rubaai << हुए बे-ख़ुद तो बे-ख़ुदी आ... अपनी सूरत न जब नज़र आई >> देख कर तेरी आलम-आराई तेरी पिन्हाई और पैदाई देख राज़-ओ-नियाज़ को 'साक़ी' ख़ुद-तमाशा ओ ख़ुद-तमाशाई Share on: