दिल को हद से सिवा धड़कने न दिया By Rubaai << ईरानी फ़साहत और हिजाज़ी ग... है नाज़िश-ए-काएनात ये पैक... >> दिल को हद से सिवा धड़कने न दिया क़ालिब में रूह को फड़कने न दिया क्या आग थी सीने में जिसे फ़ितरत ने रौशन तो क्या मगर भड़कने न दिया Share on: