दुनिया है इरम से भी हसीं देख ज़रा By Rubaai << लम्हों का निशाना कभी होता... तस्कीन-ए-दिल और रूह का आर... >> दुनिया है इरम से भी हसीं देख ज़रा आकाश पे हँसती है ज़मीं देख ज़रा आब आब हुए जाते हैं माह ओ अंजुम लौ देती है ज़र्रों की जबीं देख ज़रा Share on: