लम्हों का निशाना कभी होता ही नहीं By Rubaai << हों क्यूँ न बुतों की हम क... दुनिया है इरम से भी हसीं ... >> लम्हों का निशाना कभी होता ही नहीं वो सैद-ए-ज़माना कभी होता ही नहीं हर उम्र में देखा है दमकता वो बदन सोना तो पुराना कभी होता ही नहीं Share on: