दुनिया के लिए हैं सब हमारे धंदे Admin बातें शायरी, Rubaai << दुनिया को न तू क़िबला-ए-ह... दुनिया का न खा फ़रेब वीरा... >> दुनिया के लिए हैं सब हमारे धंदे ज़ाहिर ताहिर हैं और बातिन गंदे हैं सिर्फ़ ज़बान से ख़ुदा के क़ाइल दिल की पूछो तो ख़्वाहिशों के बंदे Share on: