दुनिया में रह के रास्त-बाज़ी कब तक Admin राजपूत बन्ना शायरी, Rubaai << दुनिया से अलग जा के कहीं ... दीवाना-ए-इश्क़ को नसीहत त... >> दुनिया में रह के रास्त-बाज़ी कब तक मुश्किल है कुछ आसाँ नहीं सीधा मस्लक सच बोल के क्या हुसैन बनना है तुझे इतना सच बोल दाल में जैसे नमक Share on: