ऐ चश्म-ए-ग़मीं तेरे एवज़ रोए कौन Admin गमी शायरी, Rubaai << ऐ पर्दा-नशीं सहल हुआ ये इ... ऐ अब्र कहाँ तक तिरे रस्ते... >> ऐ चश्म-ए-ग़मीं तेरे एवज़ रोए कौन जी अपना भला मेरे लिए खोए कौन अफ़साना-ए-वस्ल किस से पूछूँ शब-ए-हिज्र आप ही मैं कहूँ आप सुनूँ सोए कौन Share on: