ऐ रूप की लक्ष्मी ये जल्वों का राग By Rubaai << हर बात यहाँ राज़ बनी जाती... सदियों मैं हवस-ख़ाना-ए-हस... >> ऐ रूप की लक्ष्मी ये जल्वों का राग ये जादू-ए-काम-रूप ये हुस्न की आग ख़ैर ओ बरकत जहान में तेरे दम से तेरी कोमल हँसी मोहब्बत का सुहाग Share on: