फ़रियाद है किस लिए दर-ए-यज़्दाँ पर By Rubaai << 'सौदा' शेर में है... तक़ाज़ा-ए-सिन >> फ़रियाद है किस लिए दर-ए-यज़्दाँ पर इल्ज़ाम तराशते हो क्यूँ शैताँ पर यज़्दाँ ने किए कभी न शैताँ ने किए इंसाँ ने किए हैं जो सितम इंसाँ पर Share on: