तक़ाज़ा-ए-सिन By Rubaai << 'सौदा' शेर में है... अफ़ज़ल कोई मुर्तज़ा से हि... >> 'हाली' को जो कल फ़सुर्दा-ख़ातिर पाया पूछा बाइस तो हँस के ये फ़रमाया रक्खो न अब अगली सोहबतों की उम्मीद वो वक़्त गए अब और मौसम आया Share on: