गदाई की तर्ग़ीब By Rubaai << जब भी करे यलग़ार अफ़्सुर्... हैं ख़्वाब भी और ख़्वाब क... >> इक मर्द-ए-तवाना को जो साइल पाया की मैं ने मलामत और बहुत शरमाया बोला कि है इस का उन की गर्दन पे वबाल दे दे के जिन्हों ने माँगना सिखलाया Share on: