ग़फ़लत के तुख़्म बोने वाले उठे Admin औक़ात शायरी, Rubaai << है अर्श भी यक फ़र्श क़दम ... अश्क आए ग़म-ए-शह से जो चश्... >> ग़फ़लत के तुख़्म बोने वाले उठे औक़ात अज़ीज़ खोने वाले उठे चमका जो तेरा नूर तो आँखें खोलीं सूरज निकला तो सोने वाले उठे Share on: