अश्क आए ग़म-ए-शह से जो चश्म-ए-तर में Admin जलने वाली शायरी, Rubaai << ग़फ़लत के तुख़्म बोने वाल... अफ़्ज़ूँ जो शबाब दम-ब-दम ... >> अश्क आए ग़म-ए-शह से जो चश्म-ए-तर में दिल जलने लगा तड़प तड़प कर बर में 'माइल' ये माजरा न देखा न सुना पानी से लगी आग ख़ुदा के घर में Share on: