गर अक़्ल-ओ-शुऊर की रसाई होती Admin साई बाबा पर शायरी, Rubaai << गर कहे हुलूल है वो इक अमर... बाक़ी न रही हाथ में जब क़... >> गर अक़्ल-ओ-शुऊर की रसाई होते वाइ'ज़ की समझ में बात आई होती कौसर पे सला-ए-जाम-ए-मय क्यूँ देते मय पीने में कुछ अगर बुराई होती Share on: