गरमी में ग़म-ए-लिबादा ना-ज़ेबा है Admin Rubaai << हर क़तरे में बहर-ए-मा'... तिफ़्ली ने बे-ख़ुदी का आग... >> गर्मी में ग़म-ए-लिबादा ना-ज़ेबा है मस्ती में ख़याल-ए-बादा ना-ज़ेबा है काफ़ी है ज़रूरत के मुताबिक़ दुनिया दुनिया हद से ज़ियादा ना-ज़ेबा है Share on: