ग़ुंचे को नसीम गुदगुदाए जैसे By Rubaai << कहते रहें ये लोग कि अच्छा... हम उस की जफ़ा से जी में ह... >> ग़ुंचे को नसीम गुदगुदाए जैसे मुतरिब कोई साज़ छेड़ जाए जैसे यूँ फूट रही है मुस्कुराहट की किरन मंदिर में चराग़ झिलमिलाए जैसे Share on: