हम उस की जफ़ा से जी में हो कर दिल-गीर By Rubaai << ग़ुंचे को नसीम गुदगुदाए ज... जो महरम-ए-गुलज़ार-ए-जहाँ ... >> हम उस की जफ़ा से जी में हो कर दिल-गीर रुक बैठे तो हैं वले करें क्या तक़रीर दिल हाथ से जाता है बग़ैर उस से मिले अब जो न पड़ें पाँव तो फिर क्या तदबीर Share on: