हाँ ऐ दिल-ए-ईज़ा-तलब आराम न ले Admin आराम पर शायरी, Rubaai << इम्कान-ए-तलब से कोई आगाह ... हैरान है क्यूँ राज़-ए-बक़... >> हाँ ऐ दिल-ए-ईज़ा-तलब आराम न ले बदनाम न हो मुफ़्त का इल्ज़ाम न ले हाथ आना सके फूल तो काँटे ही सही नाकाम पलटने का कभी नाम न ले Share on: