है बार-ए-ख़ुदा कि आलम-आरा तू है Admin Rubaai << है शुक्र दुरुस्त और शिकाय... गर रूह न पाबंद-ए-तअ'य... >> है बार-ए-ख़ुदा कि आलम-आरा तू है दाना-ए-निहान-ओ-आश्कारा तो है हर शख़्स को है तेरे करम की उम्मीद हर क़ौम का आसरा सहारा तू है Share on: