है शुक्र दुरुस्त और शिकायत ज़ेबा Admin जमीन पर शायरी, Rubaai << हक़्क़ा कि बुलंद है मक़ाम... है बार-ए-ख़ुदा कि आलम-आरा... >> है शुक्र दुरुस्त और शिकायत ज़ेबा है कुफ़्र दुरुस्त और हिदायत ज़ेबा गेसू-ए-सियाह और जबीन-ए-रौशन दोनों की बहार है निहायत ज़ेबा Share on: