है फ़ितरत-ए-ज़न रमीदा आहू की तरह Admin आह शायरी, Rubaai << आशिक़ जो हुआ है तू किसी प... बाज़ार >> है फ़ितरत-ए-ज़न रमीदा आहू की तरह छू लो तो लरज़ जाए लजा-लू की तरह उस हुस्न के फूल को सँभल कर देखो उड़ जाए न कहीं ये भी ख़ुश्बू की तरह Share on: