है हिर्स-ओ-हवस के फ़न की मुझ को तकमील Admin जलील मानिकपुरी की शायरी, Rubaai << है साफ़ अयाँ हरम-सरा का म... ग़फ़्लत की हँसी से आह भरन... >> है हिर्स-ओ-हवस के फ़न की मुझ को तकमील ग़ैरत नहीं मेरी बज़्म-ए-दानिश में दख़ील हैं नफ़्स की ख़्वाहिशें बहुत मुझ को अज़ीज़ जब चाहें करें ख़ुशी से मुझ को वो ज़लील Share on: